प्रशांत भूषण पर SC के फैसले पर बोले अरुण शौरी- कुर्सी खड़े होने के लिए नहीं होती

时间:2023-09-27 12:44:25来源:कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 live作者:अदानी एंटरप्राइजेज शेयर प्राइस
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट में चल रहे इस मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने प्रतिक्रिया दी है. इंडिया टुडे से खास बातचीत में अरुण शौरी ने कहा कि आपको पता है कि जो शख्स उच्च पद पर बैठता है,प्रशांतभूषणपरSCकेफैसलेपरबोलेअरुणशौरीकुर्सीखड़ेहोनेकेलिएनहींहोती चाहे वो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या जज कोई भी हो, वो कुर्सी बैठने के लिए होती है ना कि खड़े होने के लिए.प्रशांत भूषण के ट्वीट को लेकर जब अरुण शौरी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे हैरानी हो रही है कि 280 कैरेक्टर लोकतंत्र के खंभे को हिला रहे हैं. मुझे नहीं लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की छवि इतनी नाजुक है. 280 कैरेक्टर से सुप्रीम कोर्ट अस्थिर नहीं हो जाता. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से अपने बयान पर विचार करने को कहा है. लेकिन प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि बयान पर मुझे विचार करना चाहिए. प्रशांत भूषण के इस फैसले पर अरुण शौरी ने कहा कि ये उनका निजी फैसला हो सकता है. अगर वो माफी मांगते तो मुझे हैरानी होती. अरुण शौरी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में प्रशांत भूषण ने इस पर विचार किया होगा. कोर्ट ने 108 पेज का फैसला सुनाया है. कोर्ट का स्तर बहुंत ऊंचा है. अगर आप कुल्हाड़ी से मच्छर मारेंगे तो आप अपने आपको ही चोट पहुंचाएंगे. आपको पता है कि जो शख्स उच्च पद पर बैठता है, चाहे वो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या जज कोई भी हो, वो कुर्सी बैठने के लिए होती है ना कि खड़े होने के लिए. अदालत का कहना है कि 24 अगस्त तक प्रशांत भूषण चाहें तो बिना शर्त माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो 25 अगस्त को इस पर विचार किया जाएगा. लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो अदालत सजा पर फैसला सुनाएगी. सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का मामला चल रहा है और कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया है. बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद शौरी 1999-2004 के दौरान पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार में केंद्रीय संचार, सूचना प्रौद्योगिकी एवं विनिवेश मंत्री थे. रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित शौरी ने 1967- 1978 के दौरान विश्व बैंक के साथ एक अर्थशास्त्री के रूप में भी काम किया है. अरुण शौरी 'द इंडियन एक्सप्रेस' के संपादक भी रहे हैं.
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