लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद बड़ी संख्या में लोगों को संकट और समस्याओं का सामना करना पड़ा,लॉकडाउनमेंगईहजाररुपयेकीनौकरीअबहरमहीनेहजारकमाताहैयेयुवा लेकिन इन्हीं दिक्कतों में ऐसे शख्स ऐसा भी है जो लॉकडाउन से पहले 10 हजार रुपये महीने कमाता था, लेकिन लॉकडाउन में नौकरी खोने के बाद अब वो 80 हजार रुपये महीने की कमाई कर रहा है.हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं, उसकी जिंदगी लॉकडाउन में मिले खाली वक्त ने बदल दी. हुआ यूं कि पेशे से ड्रॉइंग टीचर महेश कापसे ने इस दौरान सोशल मीडिया पर अपनी पेंटिंग डालनी शुरू कर दीं. उनकी पेंटिंग्स इस कदरलोकप्रिय हुईं कि फिल्मी सितारे भी इस पेंटर के फैन हो गए. रितेश देशमुख भी उसकी तारीफ कर चुके हैं.अब वह करीब 80 हजार रुपये प्रति महीने कमा रहे हैं.Incredible art -Mahesh Kapse thank you 🙏🏽 Loved it महेश कापसे को मार्च-अप्रैल से पहले ज्यादा लोग नहीं जानते थे. ये महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक स्कूल में ड्रॉइंग टीचर थे. कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा और थोड़े दिन बाद स्कूल की नौकरी चली गई. महेश भी अपने गांव बुलढाणा के वेणी में लौट आए.देखें: महेश ने खाली समय का उपयोग किया और अपनी पेंटिंग्स को टिकटॉक पर डालने की योजना बनाई. उनके दिमाग में आइडिया आया कि क्यों ना अपनी पेंटिंग को वो टिकटॉक पर डालें और इसके बाद महेश की जिंदगी बदल गई.धीरे-धीरे महेश कापसे ना सिर्फ आम लोगों में पॉपुलर होने लगे. सेलेब्रिटीज भी इनकी कला के फैन हो गए. महेश को इंटरनेशनल फेम मिलने लगा. क्रिकेटर डेविड वॉर्नर, केविन पीटरसन तक ने उनका वीडियो शेयर किया. बड़े-बड़े मराठी कलाकार भी उनके कायल हो गए.महेश ने बताया कि मैंने सोचा उन्हीं की पेंटिग बनाऊं जो मेरे साथ ड्यूटी करते हैं तो काफी सारे ऑर्डर आने लगे. एक दिन में 2-2, 3-3 ऑर्डर आने लगे. अब महेश को महीने में 40 तक ऑर्डर मिल जाते हैं और एक पेंटिंग का वो 2 हजार रुपये लेते हैं जबकि एक पेंटिंग बनाने में उन्हें सिर्फ 10 मिनट का समय लगता है.महेश की नानी पार्वती कहती हैं कि वह मेरा नातीहै उसने प्रगति की है. वो पेंटिंग बनाता है. चित्रकला मे उसे जो शोहरतमिल रही है उसपर हमें बहुत अभिमान है और उसे बहुत सारे पुरस्कार मिल रहे हैं. मेरा नातीइतना आगे बढ़ जाएगा, मैंने सोचा नहीं था. लेकिन वो जो कुछ भी हुआ है उसके बलबूते हुआ है.महेश यशवंतराव कला महाविद्यालय की आर्ट क्लास में हमेशा पहले नंबर पर आए लेकिन उनके हुनर को पहचान अब जाकर मिली और वह भी लॉकडाउन के दौरान. हालांकि टिक टॉक के बंद होने से महेश के काम पर असर पड़ा है. बाकी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उन्हें टिकटॉक वाली कामयाबी नहीं मिल पा रही. हालांकि वह अपनी कोशिशों में लगे हुए हैं.